Friday 21 September 2018

गाय को ‘राष्ट्रमाता’ घोषित करने वाला देश का पहला राज्य बना उत्तराखंड



देहरादून : गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने वाला उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है। विधानसभा में यह बिल पास हो गया है और अब इसे केंद्र के पास अप्रूवल के लिए बढाया गया है। उत्तराखंड की पशुपालन मंत्री रेखा आर्य ने उत्तराखंड विधानसभा में बिल पेश किया था। उन्होंने कहा, ‘हम सभी (विपक्ष और सत्ता) गाय के महत्व को जानते हैं। न केवल भारत बल्कि दूसरे देशों में इसका सम्मान किया जाता है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘धार्मिक ग्रन्थों में भी, हमें गाय का उल्लेख मिलता है और कहा जाता है कि इसके शरीर ३३ करोड देवताओं का वास होता है। अगर गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा मिल जाता है तो इनकी सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे ताकि गोवध बंद हो सके।’

‘गाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए’

उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा, कई लोगों के लिए गाय कमाई का जरिया भी है और लोग जीविकोपार्जन के लिए इस पर निर्भर हैं। देहरादून के मेयर विनोद चंबोली समेत भाजपा के कई नेताओं ने प्रस्ताव पर लोगों की एकजुटता बढाने के लिए प्रयास किया। उन्होंने कहा, ‘अब समय आ गया है कि गाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।’
हालांकि उत्तराखंड में विपक्ष की नेता इंदिरा हृदयेश ने कहा, ‘हम सभी गाय का सम्मान करते हैं परंतु मैं यह समझने में असमर्थ हूं कि भाजपा गाय को राष्ट्र माता घोषित करके क्या साबित करना चाहती है ? प्रदेश के गोशाले बुरी स्थिति में हैं और बूढे होने के बाद गायों को लोग छोड देते हैं। प्रदेश में पशुचिकित्सकों की भी कमी है।’

‘गायों की स्थिति पर सरकार को ध्यान देना चाहिए’

उन्होंने कहा कि, प्रस्ताव लाने के बजाय भाजपा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी बछडा मारा न जाए, गायों को उचित भोजन मिले, गोशालों की स्थिति ठीक हो और बुजुर्ग जानवरों के लिए उचित बंदोबस्त कराया जाए। भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों के विचार सुनने के बाद विधानसभा स्पीकर प्रेम चंद अग्रवाल ने वोटिंग के आधार पर प्रस्ताव पारित किया।
स्त्रोत : नवभारत टाइम्स

Thursday 20 September 2018

ରାଜ୍ୟରେ ଗୋସମ୍ପଦ ହ୍ରାସ ପାଉଛି


ଭୁବନେଶ୍ୱର : ଭାରତ ସରକାରଙ୍କ ନିୟମ ଅନୁଯାୟୀ ପ୍ରତି ୫ ବର୍ଷରେ ଥରେ ପଶୁଧନ ଗଣନା ହୋଇଥାଏ । କୋରାପୁଟ ଜିଲ୍ଲା ସମେତ ରାଜ୍ୟରେ ୨୦୦୭ ଓ ୨୦୧୨ ମସିହାରେ ପଶୁଧନ ଗଣନା ହୋଇଥିଲା । ଉକ୍ତ ଗଣନା ଅନୁଯାୟୀ ରାଜ୍ୟରେ ଗୋମହିଷାଦିଙ୍କ ସଂଖ୍ୟା ୨୦୦୭ ବର୍ଷରେ ୧,୪୯,୩୮,୫୭୯ ଓ ୨୦୧୨ ବର୍ଷରେ ୧,୨୩,୪୭,୫୭୮ ଥିଲା । କୋରାପୁଟ ଜିଲ୍ଲାରେ ୨୦୦୭ ଗଣନା ଅନୁଯାୟୀ ୫,୭୯,୧୮୫ ଗୋମହିଷାଦି ଥିବାବେଳେ ୨୦୧୨ ମସିହାରେ ୫,୪୮,୧୭୫ ଗୃହପାଳିତ ପଶୁ ଅଛନ୍ତି । ବ୍ୟାପକ କୃଷି ଯନ୍ତ୍ରର ବ୍ୟବହାର, ଶିଳ୍ପାୟନ, ସୂଚନା ଓ ପ୍ରଯୁକ୍ତି ବିଦ୍ୟାର ବହୁଳ ପ୍ରସାର ଏବଂ ଚାରଣ ଭୂମିର ହ୍ରାସ ଯୋଗୁଁ ଗୃହପାଳିତ ପଶୁଙ୍କ ସଂଖ୍ୟାରେ ହ୍ରାସ ଘଟିଛି । ସେହି ଅନୁସାରେ କୋରାପୁଟ ଜିଲ୍ଲାରେ ୨୦୦୭ ରୁ ୨୦୧୨ ମଧ୍ୟରେ ୫.୩୫ ପ୍ରତିଶତ ଗୃହପାଳିତ ପଶୁଙ୍କ ସଂଖ୍ୟା ହ୍ରାସ ପାଇଅଛି ବୋଲି କଂଗ୍ରେସ ସଭ୍ୟ ତାରା ପ୍ରସାଦ ବାହିନୀପତିଙ୍କର ପ୍ରଶ୍ନର ଉତ୍ତରରେ ମତ୍ସ୍ୟ ଓ ପଶୁ ସମ୍ପଦ ବିକାଶ ମନ୍ତ୍ରୀ ଶ୍ରୀ ପ୍ରଦୀପ ମହାରଥୀ ପ୍ରକାଶ କରିଛନ୍ତି । ଶ୍ରୀ ମହାରଥି କହିଥିଲେ ଅବିଭକ୍ତ କୋରାପୁଟ ଜିଲ୍ଲାରୁ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଦିନ ଶହଶହ ସଂଖ୍ୟାରେ ଗାଈଗୋରୁଙ୍କୁ ଆନ୍ଧ୍ରପ୍ରଦେଶକୁ ଚଲାଇ ଚଲାଇ ନେବାର ଖବର ସରକାରଙ୍କ ହସ୍ତଗତ ହୋଇନାହିଁ । କୋରାପୁଟ ଜିଲ୍ଲା ସମେତ ରାଜ୍ୟର ପ୍ରତ୍ୟେକ ଜିଲ୍ଲାରେ ଜୀବ ନିଷ୍ଠୁରତା ନିରୋଧ ସମିତି ଗଠନ କରାଯାଇ ଜୀବମଙ୍ଗଳ କାର୍ଯ୍ୟକୁ ତ୍ୱରାନ୍ୱିତ କରିବା ସହିତ ଆଇନ୍ ଅନୁଯାୟୀ ପ୍ରାଣୀମାନଙ୍କୁ ସୁରକ୍ଷା ପ୍ରଦାନ କରିବା ନିମନ୍ତେ ପଦକ୍ଷେପ ନିଆଯାଉଅଛି । ପ୍ରତି ଜିଲ୍ଲାର ଜିଲ୍ଲାପାଳ ଜିଲ୍ଲା ସମିତି ଅଧ୍ୟକ୍ଷ ଭାବେ ଆରକ୍ଷୀ ଅଧିକ୍ଷକ ଉପାଧ୍ୟକ୍ଷ ଭାବେ ଏବଂ ଜିଲ୍ଲା ମୁଖ୍ୟ ପ୍ରାଣୀ ଚିକିତ୍ସା ଅଧିକାରୀ ଅବୈତନିକ ସମ୍ପାଦକ ଭାବେ କାର୍ଯ୍ୟ କରୁଛନ୍ତି ବୋଲି ମନ୍ତ୍ରୀ କହିଥିଲେ ।