Monday 20 August 2018

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में गोहत्या पर लगाया प्रतिबंध


न्यायालय ने ‘परेन्स पैट्रिए’ सिद्धांत का उपयोग करते हुए गाय और अन्य आवारा पशुओं की भलाई के लिए निर्देश जारी किए। लैटिन शब्द परेन्स पैट्रिए का अर्थ है, ‘अपने देश के माता-पिता’ और इस सिद्धांत के तहत किसी राज्य को यह अधिकार होता है कि वह ऐसे निरीह प्राणियों के संरक्षण के लिए कानून बनाए, जो अपनी रक्षा स्वयं नहीं कर सकते !
उत्तराखंड में गाय और अन्य आवारा पशुओं की सुरक्षा के लिए अब न्यायालय सामने आया है ! उच्च न्यायालय ने राज्य में गोहत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है !
कार्यवाहक चीफ जस्ट‍िस राजीव शर्मा और जस्ट‍िस मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने अपने आदेश में पूरे उत्तराखंड में गाय, बैल, सांड, बछिया या बछड़े के किसी भी उद्देश्य के लिए हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है !
न्यायालय ने ‘परेन्स पैट्रिए’ सिद्धांत का उपयोग करते हुए गाय और अन्य आवारा पशुओं की भलाई के लिए निर्देश जारी किए। लैटिन शब्द परेन्स पैट्रिए का मतलब है, ‘अपने देश के माता-पिता’ और इस सिद्धांत के तहत किसी राज्य को यह अधिकार होता है कि वह ऐसे निरीह प्राणियों के संरक्षण के लिए कानून बनाए, जो अपनी रक्षा स्वयं नहीं कर सकते !
न्यायालय ने राज्य के सभी सर्किल ऑफिसर को आदेश दिया है कि २४ घंटे के अंदर यह सुनिश्चित करें कि अब किसी भी गाय की हत्या न हो !’ इसके अलावा न्यायालय ने यह निर्देश भी दिया है कि ‘कोई भी पशु यदि सड़कों, चौराहों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पाया जाता है तो उनके मालिक पर मुकदमा कायम किया जाए !’
न्यायालय ने सड़कों पर यातायात को सुचारु रूप से चलाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों तथा राज्य के राजमार्गों के विभाग, ग्राम पंचायतों और नगर निगमों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि ‘सड़कों पर कोई भी आवारा पशु घूमता दिखाई न दे !’ न्यायालय ने यह भी कहा कि आवारा पशुओें को सड़कों से हटाते समय पूरी दया और करुणा दिखाई जाए और यह ध्यान रहे कि उन्हें किसी प्रकार के अनावश्यक दर्द का सामना न करना पड़े !
स्त्रोत : आज तक

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